फिरोजाबाद : -
परिवार नियोजन से रुक सकती है 60 प्रतिशत तक मातृ मृत्यु।
एएनएम को दिया गया परिवार नियोजन परामर्श प्रशिक्षण।
दिए गए प्रशिक्षण प्रमाण पत्र।
जनपद स्तर पर परिवार कल्याण कार्यक्रम के अंतर्गत हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर पर तैनात ए.एन.एम. को परिवार नियोजन सम्बन्धी प्रशिक्षण दिया गया । प्रशिक्षण में मातृ एवं शिशु मृत्यु में परिवार नियोजन की भूमिका, गर्भावस्था का सही समय, बच्चों में उचित अंतराल का महत्व एवं परिवार नियोजन के अस्थाई व स्थाई साधनों के विषय में विस्तृत जानकारी दी गई। ट्रेनिंग में परिवार नियोजन कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. के. के. गुप्तास्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी उदय सिंह, महिला चिकित्सा अधिकारी डॉ. गीता सिंह आदि मौजूद रहे। ट्रेनिंग मेंलखनऊ से आईं विशेषज्ञ रेणुका इमरान और जिला परिवार नियोजन विशेषज्ञ द्वारा हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर पर कार्यरत ए.एन.एम कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित किया गया।
परिवार नियोजन कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. केके गुप्ता ने बताया कि परिवार कल्याण कार्यक्रम के अंतर्गत एएनएम को दिए गए प्रशिक्षण में डब्ल्यूएचओ द्वारा तैयार की गई विशेष वीडियो के माध्यम से मातृ एवं शिशु मृत्यु में परिवार नियोजन की भूमिका, गर्भावस्था के सही समय, परिवार नियोजन साधनों के विषय में जानकारी दी गई। उन्होंने बताया कि ट्रेनिंग को कुल 3 सत्र में पूर्ण किया गया। प्रथम सत्र में एएनएम को मातृ मृत्यु को कम करने में परिवार नियोजन की भूमिका, गर्भावस्था का सही समय और बच्चों में उचित अंतराल,कम उम्र में गर्भावस्था व कम अंतराल पर बच्चे होने के जोखिम , एनीमिया से गर्भवती में जटिलताओं का बढ़ना, परिवार नियोजन की सेवाओं के लिए अपूरित आवश्यकता (अनमेट नीड) के विषय में जानकारी दी गई। द्वितीय सत्र में प्रसव पश्चात गर्भधारण की संभावना, मासिक चक्र एवं गर्भधारण करने के संभावित दिन, परिवार नियोजन के अस्थाई व स्थाई साधन व उनकी विस्तृत जानकारी को समझाया गया। अंतिम सत्र में परिवार नियोजन में परामर्श की भूमिका, परामर्श के सिद्धांत, आपसी बातचीत के कौशल, परामर्श की तकनीक, परिवार नियोजन परामर्श के अवसर आदि के विषय में बताया गया।
नोडल अधिकारी ने बताया कि उत्तर प्रदेश में 1 लाख जीवित जन्म पर लगभग 216 माताओं की मृत्यु हो जाती है।परिवार नियोजन द्वारा अनचाहे गर्भ और गर्भ से संबंधित जटिलताओं को कम करके 60 प्रतिशत तक मातृ मृत्यु को रोका जा सकता है। साथ ही परिवार नियोजन विधियों को अपनाकर 10% शिशुओं को मृत्यु से बचाया जा सकता है।



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