जीवन मृत्यु – डॉ कंचन जैन “स्वर्णा”

 अलीगढ़ :–


ढूंढता वही है यहां,

 हरेक।

जो उसने,

 पाया ही नहीं

फिर चाहे,

जीवन हो या मृत्यु।

जीवन के लिए कुछ गवाया नहीं,

मृत्यु के बाद कुछ पाया नहीं।

इस एक अंतिम शून्य पर,

 दुनिया टिकी है।

गवाया क्या है?

 पाया क्या है?

0/Post a Comment/Comments

Previous Post Next Post