वक्त ही सत्य – डॉ कंचन जैन "स्वर्णा"

अलीगढ़ : -  


अंत में सब "एक ही सत्य" है,

तो फिर

ये भी सही, वो भी सही।

क्यों पालें शिकायतों को,

रास्ते के किनारे जब "सुकून" है।

तो फिर

कुछ मुस्कुरा कर टालना सही,

कुछ आंसुओं में बहाना सही।

ये वक्त बीत रहा है,

बदल रहा, हर दिन है।

तों फिर 

खोना भी सही

पाना भी सही।

0/Post a Comment/Comments

Previous Post Next Post