सुल्तानपुर - जहां एक तरफ मौजूदा केंद्र व प्रदेश सरकार किसानों को ज्यादा से ज्यादा फसलों की पैदावार बढ़ाने के लिए नई नई तकनीक व सुविधाओं से लैस करने में जुटी है, वहीं दूसरी तरफ क्षेत्र की माइनरों में विभागीय लापरवाही के चलते अरसे से बूंद भर पानी देखने को नहीं मिला। ये माइनरें पूरी तरह झाल झंखारों से पटी पड़ी हैं, यानी जंगल में तब्दील हो चुकी हैं।
हला माइनरों में पानी भले ही न आता हो लेकिन ग्रामीणों द्वारा इनके टैंक गूल में मत्स्य पालन तथा पटरियों पर शाग शब्जियों की फसलें उगाने के उपयोग में आ रही हैं।
हम बात कर रहे हैं,विकास खण्ड कूरेभार के सागरपुर-गौहानी धोबीभार माइनर की जहां पर तकिया गांव के निवासी मो० लड्डन ने माइनर के टैंक गूल में मछलियां पाल रक्खी हैं, और पटरियों पर शाग शब्जियां भी उगाई हैं।
बात करने पर उन्होंने बताया कि, हमारे घर से सटकर माइनर निकली है, जिसमें कभी पानी तो आता नहीं झाल झंखार ही उगे रहते हैं। हमने झाड़ियों को साफ कर टैंक गूल में मछलियों को पाला है, तथा नहर की पटरियों पर शाग शब्जियों की खेती भी किया है, जिससे हमारे परिवार को मछली और शब्जियां दोनों ही मिलती रहें।
रिपोर्टर:- रवीन्द्र कुमार पाण्डेय सुल्तानपुर


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