त्यौहारी सीजन में सैनिटाइजर लगाकर न जलाएं पटाखे

अलीगढ़ : -

 सैनिटाइजर में 70 प्रतिशत एल्कोहल की मात्रा होती है।

 ज्वलीनशील होता है एल्कोहल।

कोविड-19 से बचाव के लिये इन दिनों हम सभी उपायों को अपना रहे हैं। इसमें मास्क पहनना, शारीरिक दूरी का पालन करना और हाथों को साबुन-पानी या सैनिटाइजर से साफ करना हम सभी अपना रहे हैं, लेकिन अब त्यौहारी सीजन आ गया है और दिवाली का त्यौहार आने वाला है, इस त्यौहार पर लोग पटाखे चलाते हैं। कोविडकाल में हमें सैनिटाइजर हाथों पर लगाने की आदत पड़ गई है, एेसे में सैनिटाइजर लगाकर पटाखे चलाना घातक साबित हो सकता है। यदि आप सैनिटाइजर लगाकर दीए या पटाखे जला रहे हैं तो यह हादसे का सबब बन सकता है। दरअसल सैनिटाइजर ज्वलनशील होता है। इसमें आग लग सकती है। 

 मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय के कोविड-19 के नोडल अधिकारी डॉ अनुपम भास्कर ने बताया कि कोविड-19 से बचाव के लिये प्रयुक्त होने वाले सैनिटाइजर में 70 प्रतिशत एल्कोहल की मात्रा होती है, जिससे हमारे हाथों पर लगे सभी संक्रामक तत्व मर जाते हैं। लेकिन यह ज्वलनशील भी होता है इसलिये दिवाली सीजन में इस बात का ध्यान रखें कि जब भी पटाखे चलाएं तो हाथों पर सैनिटाइजर न लगा हो। और इसके साथ-साथ पटाखे जलाते समय अपने पास सैनिटाइजर भी ना रखें, और बेहद ज्वलनशील वाले पटाखों का भी उपयोग ना करें !

उन्होंने बताया कि त्योहारों का सीजन चल रहा है। लोग धूमधाम से त्योहारों को मनाने में लगे हैं। लोगों की खुशियों में किसी तरह का खलल न पड़े, इसके लिए हमें जागरुक और सुरक्षित रहना जरूरी है। इसलिये भगवान की आरती करनी हो, मंदिर में मोमबत्ती या दीया जलाना हो, रसोई में काम करना हो तो सैनिटाइजर का इस्तेमाल बिल्कुल भी न करें। इतना ही नहीं सैनिटाइजर को आग से दूर ही रखें। यह पेट्रोल और डीजल की तरह ही बेहद ज्वलनशील होता है। रसोई में काम करते समय महिलाएं ढीले कपड़े न पहनें, साड़ी व दुपट्टे का पल्लू का ख्याल रखें। फायर फर्स्ट एड किट को हमेशा अपने पास रखें। इसके साथ ही छत पर कोई भी ऐसा सामान न रखें जिसमें आग लगने की आशंका हो। आग लगने पर तुरंत दमकल विभाग को 101 नंबर पर कॉल कर सूचित करें।


सैनिटाइजर इन परिस्थिति में न लगाएं

-किचन में काम करते वक्त

-दीपक जलाते वक्त

-पटाखे चलाते वक्त

-आग के नजदीक जाते वक्त

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