अलीगढ़ :–
-घर-घर अभियान में क्षय रोग विभाग की टीम खोजेगी टीबी के मरीज
-मलिन बस्तियों में भी आशा, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और पोलियो वालंटियर्स करेंगे सहयोग
राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत
जिले में स्वास्थ्य विभाग द्वारा क्षय रोग की टीम एसीएफ (एक्टिव केस फाइंडिंग) अभियान में जुटेगी। यह अभियान 22 मार्च तक चलेगा। यह अभियान सभी ब्लाकों में चलेगा। अभियान के दौरान क्षय रोग विभाग की टीमें घर-घर जाएगी और क्षय रोग से मिलते-जुलते लक्षण वाले व्यक्तियों की जांच करेंगी। इसके बाद उन्हें उपचार के लिए प्रेरित किया जाएगा। इसके लिए 400 टीम व 80 सुपरवाइजर एवं 16 मेडिकल ऑफिसर तैयार किए गए हैं, जो घर-घर जाकर भ्रमण करेंगे और इस अभियान में आशा व आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को भी लगाया जाएगा।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ. नीरज त्यागी ने बताया कि एसीएफ के संबंध में जिला क्षय रोग अधिकारी के नेतृत्व में कार्य योजना बनाई जा रही है। उन्होंने कहा टीबी का संक्रमण रोकने के लिए मरीजों की जल्दी पहचान और जल्दी उपचार शुरू होना जरूरी है।
जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) डॉ. अनुपम भास्कर ने बताया कि एसीएफ अभियान के अंतर्गत सफल संचालन हेतु शासन की ओर से दिए गए निर्देशों का पालन किया जाएगा। शासन से मिली गाइडलाइन के मुताबिक जनपद की 20 प्रतिशत जनसंख्या लगभग 8 लाख 40 हजार शहरी एवं मलिन बस्ती और हाई रिस्क क्षेत्रों में माइक्रोप्लान तैयार कर घर-घर स्क्रीनिंग की जाएगी। उन्होंने बताया कि अभियान के दौरान 10 कार्य दिवस होंगे और इस अभियान के अंतर्गत होली पर दो दिन के लिए अवकाश रहेगा।
डीटीओ डॉ. भास्कर ने बताया कि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के दिशा-निर्देशानुसार लैब टेक्नीशियन और एसटीएस स्पुटम की जांच माइक्रोस्कोप, ट्रूनेट या सीबी नॉट मशीन से करेंगे। यदि किसी व्यक्ति में टीबी के जीवाणु की पुष्टि होती है तो उसकी ब्लड शुगर, यूडीसी और एचआईवी की जांच कर निक्षय पोर्टल पर अपलोड किया जाएगा। पुष्टि होने के 48 घंटे में रोगी का उपचार शुरू करते हुए निक्षय पोषण योजना से लिंक किया जाएगा ताकि रोगी को बेहतर पोषण के लिए दी जाने वाले पांच सौ रुपए की राशि समय से मिल सके, जिला कार्यक्रम समन्वयक प्रत्येक दिन जनपद की समस्त टीबी यूनिटों से एसीएफ की सूचना एकत्र करेंगे और जिला क्षय रोग अधिकारी द्वारा रिपोर्ट की समीक्षा उपरांत प्रतिबिंब रिपोर्ट शासन में भेजी जाएगी।
जिला कार्यक्रम समन्वयक सतेंद्र कुमार ने बताया कि मलिन बस्तियों में "एसीएफ कैम्पेन" के दौरान क्षय रोगियों की तलाश के लिए आशा, आंगनबाड़ी वर्कर्स और पोलियो वालंटियर्स की मदद ली जाएगी। इसके लिए अभियान शुरू होने से पहले प्रशिक्षण दिया जाएगा। प्रशिक्षण में टीबी के लक्षणों के बारे में जानकारी दी जाएगी।
उन्होंने कहा टीबी का संक्रमण रोकने के लिए "एसीएफ अभियान" में स्वास्थ्य विभाग की टीम क्षय रोगियों की पहचान कर उन्हें अभियान के दौरान जल्दी इलाज शुरू कर दिया जायेगा।
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इंसेट
टीबी रोग से ग्रसित के सम्पर्क में रहने वाले व्यक्ति, एचआईवी से ग्रसित, शुगर के मरीज, कुपोषित, कैंसर रोगी, रोग प्रतिरोधक क्षमता, कम करने वाली दवा या स्टीराइड का सेवन करने वालों पर भी विशेष ध्यान देना है।
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फेफड़े की टीबी के संभावित लक्षण:
-दो हफ्ते से ज्यादा खांसी होना
-दो हफ्ते से ज्यादा बुखार आना
-बलगम में खून आना
-लगातार वजन कम होना
-छाती में दर्द होना
-घर में किसी को टीबी तो नहीं हुई
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