सन्तुष्टि – डॉ कंचन जैन "स्वर्णा"

अलीगढ़ :–


आसमान का एक तारा,

तिजारतों के शहर में जा गिरा।

हरेक ने उसे अपनी हैसियत से,

 पाना - परखना चाहा।

किसी ने उसे "पत्थर",

तो किसी ने उसे "हीरा" कह दिया।

हर कोई मंत्रमुग्ध था,

उस  तारे की चमक से

मगर 

वो चुपके से,

 एक फ़कीर के पास जाकर छुप गया,

फकीर ने उसे "नजरभर" देखा,

और वापस आसमान को दे दिया।

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