अलीगढ़ :–
स्वाभिमान की कलम,
टूट जाती है।
चन्द मुस्कुराते शब्दों की,
बाढ़ में ।
बह जातीं हैं , भावनाओं की कश्ती।
कुछ वक्त के साये में ।
तूफान की रफ्तार से,
भागती दौड़ती यादें ।
बह जाती है,
चक्षुओं के नीर में ।
लौट आती है , ज़िन्दगी।
फिर कलम के तीर में ।
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