भारतीय संस्कृति में हस्तकला - डॉ कंचन जैन

अलीगढ़ :–


हस्तशिल्प भारतीय संस्कृति के ताने-बाने में गहराई से बुना गया है, जिसका कई मायनों में अत्यधिक महत्व है। परंपरा और विरासत का संरक्षण सदियों से, ये शिल्पकार पीढ़ियों से चले आ रहे हैं जोकि अपने अंदर अद्भुत कहानियां और तकनीक लेकर आए हैं। प्रत्येक डिज़ाइन और रूपांकन किसी क्षेत्र के इतिहास, मान्यताओं और जीवन शैली को दर्शाता है। वे परंपरा को जीवित रखते हुए अतीत से एक ठोस कड़ी के रूप में कार्य करते हैं।सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक सम्पूर्ण भारत  में हस्तशिल्प की विशाल विविधता देश की विविध संस्कृति का प्रमाण है। गुजरात की जटिल कढ़ाई से लेकर ओडिशा के धातुकर्म तक, प्रत्येक शिल्प एक विशिष्ट क्षेत्र और उसकी अद्वितीय विरासत का प्रतिनिधित्व करता है।आजीविका और सशक्तिकरण हस्तशिल्प उद्योग लाखों कारीगरों के लिए आय का एक स्रोत प्रदान करता है, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में यह समुदायों, विशेष रूप से महिलाओं को वित्तीय स्वतंत्रता का मार्ग प्रदान करके और पारंपरिक कौशल को संरक्षित करके सशक्त बनाता है।

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