कासगंज:-
सरकारी अस्पतालों में प्रसव कराने आने वाली महिलाओं को जागरूक कर रहे यह चैम्पियन
डाक्टरों और स्टाफ नर्सों प्रसूताओं व उनके परिजनों को बता रहे परिवार नियोजन के लाभ
कोविड-19 महामारी के कारण गर्भनिरोधक हासिल करने और उसके प्रयोग में काफी हद तक गिरावट देखी गई, लेकिन इस महामारी के समय भी सभी स्वास्थ्य कर्मी मिलकर लोगों तक परिवार नियोजन की गुणवत्तापूर्ण सेवा देने का भरपूर प्रयास कर रहे हैं। इस आपदा के प्रारंभ में लॉकडाउन के कारण लोगों का कहीं आना-जाना प्रभावित रहा है, जिससे चाहकर भी पविार नियोजन की सेवाएं नहीं ले पाए। आशा कार्यकर्ता भी परिवार नियोजन की सामग्री भी घर-घर जा कर नहीं पहुंचा पाई। प्रवासी भी बहुत अधिक संख्या में अपने घरों में वापस आए और लंबे समय तक अपने घरों में रहने पर विवश हुए। इस कारण भी आगे आने वाले समय में महिलाओं के गर्भवती होने की संख्या में वृद्धि होने वाली है। इसके फलस्वरूप जनसंख्या में विस्फोट होने की संभावना भी है। इस कारण भी मातृ एवं शिशु मृत्यु, कुपोषित बच्चों का जन्म, आवांछित गर्भ जैसी समस्या में वृध्दि आ सकती है।
इस आपदा के समय में भी सरकारी अस्पतालों में प्रसव हो रहे हैं। इसलिए, प्रसव के तुरन्त बाद दिए जाने वाले गर्भ निरोधक साधन जैसे पीपीआईसीयूडी एवं छाया गोली पर विशेष ध्यान देने का निर्णय लिया है। इसी कड़ी में नई रणनीति पीपीआईयूसीडी चैम्पियन की शुरुआत की गई। इस रणनीति का उद्देश्य प्रसव करा रहे डॉक्टरों व स्टाफ नर्सों को प्रेरित करना और अधिक से अधिक संख्या में प्रसव में आने वाली महिलाओं व उनके परिवारों के लोगों को परिवार नियोजन के लाभ बताना और प्रसव के पश्चात कोई न कोई विधि देकर स्वास्थ्य केंद्र भेजना था। इसके लिए एक रणनीति के तहत सभी प्रसव कराने वाले जिम्मेदार लोगों से फोन द्वारा संपर्क स्थापित किया गया। उनको प्रेरित भी किया गया। उन्हें बताया कि अपना ध्यान रखने के साथ ही यदि प्रसूता महिलाओं को परिवार नियोजन के लाभ बताती हैं तो यह भी एक प्रकार की देश सेवा ही होगी। इसी क्रम में निर्णय लिया कि जो भी डॉक्टर या स्टाफ नर्स सबसे ज्यादा महिलाओं को पीपीआईयूसीडी के प्रेरित करेगा। उसे उस माह पीपीआईयूसीडी चैम्पियन घोषित किया जाएगा। इसका उद्देश्य एक स्वस्थ्य प्रतिस्पर्धा भी स्थापित करना था, जिससे स्टाफ स्वयं भी प्रेरित हो और लोगों को परिवार नियोजन अपनाने के लिए प्रेरित कर पाएं।
आंकड़ों पर गौर करें तो यह मुहिम रंग लाई और अच्छे परिणाम मिले हैं। विगत वर्ष की तुलना में पीपीआईयूसीडी लगवाने वालों की संख्या में वृद्धि हुई। पीपीआईयूसीडी चैम्पियंस के इस सराहनीय कार्य से इस आपदा के समय में भी पूरा परिवार नियोजन कार्यक्रम को गति मिली है और मां और बच्चे की जान बचाने का संकल्प भी पूर्ण किया जा रहा है। महिलाओं की काउंसलिंग सही तरीके से की जा रही है। महिलाएं परिवार नियोजन के लाभ को समझ रही हैं। पीपीआईयूसीडी लगवाने का एक लाभ यह भी है कि इससे बच्चों के बीच अंतर भी बढ़ेगा। जिससे मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को कम करने में सहायता भी मिलेगी।
इस अभियान के तहत हर सोमवार का दिन निर्धारित किया गया। जिस दिन जिला परिवार नियोजन विशेषज्ञ द्वारा सभी प्रसव केंद्रों में फोन से पीपीआईयूसीडी के प्रगति की सूचना ली जाती है। आवश्यक दिशा-निर्देश दिया जाता है। प्रगति की सूचना सीएमओ-एसीएमओ को दी जाती है और अग्रिम कार्रवाई की तैयारी की जाती है। ऐसे प्रसव केंद्रों का चयन किया जाता है, जहां भ्रमण कर सहयोग करने की आवश्यकता है।
पीपीआईयूसीडी की प्रगति
चयनित 10 फैसिलिटी में
माह प्रसव के सापेक्ष प्रतिशत
जुलाई 2020 17%प्रतिशत
अगस्त 2020 14.39 प्रतिशत
सितम्बर 2020 20.44%
हमें आशा ही नहीं, बल्कि पूरा विश्वास है कि पीपीआईयूसीडी चैम्पियन के इस सराहनीय कार्य से इस आपदा के समय में परिवार नियोजन के कार्यक्रम को गति मिली है। मां और बच्चे की जान बचाने का संकल्प पूर्ण किया जा रहा है।
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