अलीगढ़ :–
-मलखान सिंह चिकित्सालय के सभागार में स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया
-शारीरिक स्वास्थ्य के साथ मानसिक सेहत का भी ख्याल जरूरी: डॉ अंशु एस सोम
जनपद में रविवार को मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता सप्ताह व आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आनंद उपाध्याय के निर्देशन में विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव महेंद्र कुमार जी के अध्यक्षता में जिला मलखान सिंह चिकित्सालय के सभागार में एक गोष्ठी का आयोजन किया गया । इसमें विधिक सेवा प्राधिकरण के पैरा लीगल स्वयं सेवक व दुर्बल वर्ग उत्थान और एनजीओ ने हिस्सा लिया।
जिला मलेरिया अधिकारी डॉ राहुल कुलश्रेष्ठ ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग की तरफ से किए जा रहे जन सेवा तथा विभाग की ओर से सुविधाओं के बारे में जानकारी दी गई । इसके साथ ही डॉ राहुल कुलश्रेष्ठ द्वारा अवगत कराया कि तनाव व उनसे होने वाले अपरोक्ष बीमारियों से सामाजिक ताना-बाना कैसे बिगड़ रहा है उसके बारे में भी लोगों को जागरूक किया गया ।
मानसिक रोग विभाग की साइकोथैरेपिस्ट डॉ अंशु एस सोम ने बताया कि मानसिक रोग से होने वाले लक्षण व इनके उपचार के बारे में विस्तार से वर्णित किया । पैरा लीगल वालंटियर आभा के द्वारा मानसिक विक्षिप्त विक्षिप्त व्यक्तियों हेतु सामाजिक कर्तव्य व दायित्व के बारे में प्राधिकरण की तरफ से क्या लीगल राइट्स है उसके बारे में लोगों को अवगत कराया गया। मानसिक रोगों से मानसिक विक्षिप्त व्यक्तियों हेतु जो सामाजिक व सरकारी सहायता अनुमोदित है उसके बारे में भी अवगत कराया गया।
डॉ अंशु सोम ने कहा - कि मानसिक स्वास्थ्य के प्रति समाज को सचेत करने के लिए प्रति वर्ष 10 अक्टूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस का आयोजन किया जाता है। जिले में मानसिक स्वास्थ्य के प्रति चिकित्सक की कोई कमी नहीं है और सेवाएं भी उपलब्ध हैं। लेकिन आम जनता में मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता की कमी है, जिस वजह से सेवाएं समाज के अंतिम व्यक्ति तक नहीं पहुंच पातीं। इस दौरान मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता सप्ताह कार्यक्रम का आयोजन किया गया ।
मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. रामकिशन का कहना है कि मानसिक बीमारी प्रतिदिन के तनाव से उपजती है। मानसिक तनाव हर किसी के जीवन में स्थाई रूप से अपने पैर पसार चुका है।
वित्त सलाहकार रागिनी सिंह ने बताया कि किशोरावस्था और वयस्कता के शुरुआती वर्ष जीवन का वह समय होता है, जब कई बदलाव होते हैं, उदाहरण के लिए स्कूल बदलना, घर छोडना तथा कॉलेज, विश्व्विद्यालय या नई नौकरी शुरू करना। यह तनाव मानसिक रोग उत्पन्न कर सकता है। ऐसे रोगी को मानसिक चिकित्सालय में ले जाकर मानसिक रोग विशेषज्ञ से यथाशीघ्र इलाज कराएं।
विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव महेंद्र कुमार द्वारा मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यक्तियों हेतु सर्वोच्च न्यायालय के क्या विधिक दायित्व है और क्या-क्या सुविधाएं दी जा रही हैं उसके बारे में भी लोगों को जागरुक किया गया । मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम - माननीय सर्वोच्च न्यायालय , राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग तथा स्वास्थ्य व चिकित्सा विभाग के सम्मिलित सहयोग से संचालित है। जिसका मुख्य उद्देश्य समाज के हर व्यक्ति की तरह मानसिक अस्वस्थ व्यक्ति मौलिक अधिकारों को संरक्षित करना है ।
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