अलीगढ़
गर्भवती का ओरल ग्लूकोज टरोल्वेंस टेस्ट (ओजीटीटी) कराना अति आवश्यक है। शरीर में ग्लूकोज की मात्रा जांचने के लिए 75 ग्राम ग्लूकोज में 100 मिलीलीटर पानी में मिलाकर पिएं। इसके 2 घंटे बाद जांच कराएं और यदि ग्लूकोज की मात्रा 150 से अधिक है तो सतर्कता हो जाएं। गर्भावस्था के दौरान यदि आपने मधुमेह का इलाज नहीं कराया तो प्रसव पश्चात कई समस्याएं हो सकती हैं। साथ ही अगली पीढ़ी को भी मधुमेह हो सकता है। यह कहना है मोहन लाल गौतम राजकीय महिला चिकित्सालय की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. चंचल वार्ष्णेय का।
डॉ. चंचल ने बताया कि गर्भावस्था में मधुमेह के लक्षण नही दिखते लेकिन संभावित लक्षणों में बार-बार पेशाब आना, अधिक भूख व प्यास लगना, घावों का जल्दी न भरना और अधिक थकान होना आम लक्षण है। इस समस्या को व्यायाम और सही खानपान से नियंत्रण कर सकते हैं।
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समय पर जांच बहुत जरूरी:
स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. उपासना गोविंद ने बताया कि गर्भावस्था के दौरान यदि ग्लूकोज का स्तर शरीर में ठीक नहीं होता तो इसकी वजह से बच्चे को जन्म से होने वाली विकृति, शरीर विकास में बाधा आदि हो सकती है। वहीं महिलाओं में आने वाले समय से पूर्ण रूप से मधुमेह होने की संभावना बढ़ जाती है उन्होंने कहा कि इसके उपचार के लिए संतुलित आहार प्रोटीन में आयरन से भरपूर आहार एवं टुकड़ों में भोजन करना चाहिए उनका कहना है कि मधुमेह के मरीज चाहें गर्भवती हो या कोई अन्य उसे चीनी, चावल व गेहूं का सेवन बंद कर देना चाहिए। ऐसे लोगों को चना आधारित डाइट का सेवन करना चाहिए।
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मधुमेह पीड़ित से करें परहेज:
शक्कर,शहद, गुड़, ग्लूकोज, नारियल, नारियल पानी, शीतल पेय, एनर्जेटिक पेय, केक, पेस्ट्री, चॉकलेट, बर्फी, हलवा, च्यवनप्राश, आइसक्रीम, केला, आम, कटहल, सपाटा, लीची, अंगूर, शरीफा, ईख, बेल, खजूर, किशमिश, किसी भी फल या सब्जी का जूस आदि।
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