अलीगढ़ :–
-प्रशिक्षक बनकर आशा कार्यकर्ताओं को करेंगी प्रशिक्षित : सीएमओ
आशा कार्यकर्ताओं को फील्ड में आने वाली समस्याओं का समाधान करने एवं उनकी क्षमता वर्धन करने के लिए बुधवार को महिला चिकित्सालय के सभागार में जनपद स्तरीय पर संगीनियो के क्षमता वर्धन को लेकर तीन दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। जिसमें आशा संगिनी को विभाग के द्वारा चल रही योजनाओं के बारे में विस्तृत रूप से जानकारी दी गई। प्रशिक्षण यूटीएसयू के मनीष कलवानिया व जिला कम्युनिटी प्रोसेस मैनेजर कमलेश कुमार चौरसिया द्वारा जनपद में कार्यरत सभी आशा संगिनी एवं बीसीपीम को वर्तमान में आयोजित की जा रही क्लस्टर बैठक में आशा संगीनियो के द्वारा आशाओं को विभिन्न विषयों पर क्षमता वर्धन करने हेतु प्रशिक्षित किया गया। वहीं प्रशिक्षण के अंत में सीएमओ डॉ नीरज त्यागी व मुख्य चिकित्सा अधीक्षिका डॉ. रेनू शर्मा ने बीसीपीएम व संगीनियो को प्रमाण पत्र वितरित किए।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. नीरज त्यागी ने कहा कि तीन दिवसीय क्षमता वर्धन पर आशा संगिनी को अच्छी तरह से प्रशिक्षित किया गया। इससे क्लस्टर की आशा का क्षमता वर्धन करने में मदद मिलेगी। इससे निश्चित रूप से स्वास्थ्य सेवाओं में भी सुधार आएगा।
एसीएमओ डॉ. खान चंद ने बताया कि आशा को ज्ञान जितना अच्छा होगा। स्वास्थ्य सेवाएं उतनी अच्छे रूप में जनता तक पहुचेंगी। उन्हें पूरे प्रशिक्षण के दौरान आशा संगिनी एवं बीसीपीएम को कलेक्टर बैठक में आशा का क्षमता वर्धन कैसे करना है और क्यों करना है, फैसिलटर को किन बातों का ध्यान रखना है इसके लिए कितनी प्रोत्साहन राशि मिलेगी,गर्भवती महिलाओं का चिन्हीकरण कैसे करना है गर्भ का पता चलते ही उनका पंजीकरण करना क्यों जरूरी है आदि विषय पर चर्चा की गई।
क्षेत्र के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं दे सकें:
डीसीपीएम कमलेश कुमार चौरसिया ने कहा कि प्रशिक्षण पश्चात अपने क्लस्टर की आशाओं की उपरोक्त विषय में क्षमता वर्धन करेंगी। जिससे वह अपने क्षेत्र के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं दे सकें। प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान यूपीटीएसयू से जिला विशेषज्ञ कम्युनिटी आउटरीच मनीष कलवानिया ने संगीनियो और बीसीपीएम को परिवार नियोजन से जुड़ी विभिन्न जानकरी प्रदान की।
इस तरह से मिलेगी जानकारी :
स्वास्थ्य विभाग ने आशा कार्यकर्ताओं को माह एक विषय के बारे में जागरूक करने की योजना तैयार की है। अप्रैल माह में डायरिया से बचाव व उपचार, मई में स्तनपान, कम वजन बच्चे का प्रबंध, जून से जन्म योजना बनवाना, संस्थागत प्रसव एवं परिवार नियोजन का विषय चुना गया है। जुलाई में नवजात शिशुओं में खतरे के लक्षणों की पहचान करना, अगस्त में जनवरी का जल्द पंजीकरण, सितम्बर में गर्भवती की प्रसव पूर्व देखभाल, अक्टूबर में उच्च जोखिम गर्भवती की पहचान की जाएगी। नवम्बर में टीकाकरण, दिसम्बर में नवजात शिशु की देखभाल, जनवरी में निमोनिया, फरवरी में गैर संचारी व मार्च माह में बाल स्वास्थ्य पोषण माह पर चर्चा की गई।
कार्यशाला में यूपीटीएसयू के जिला विशेषज्ञ कम्युनिटी आउटरीच मनीष कलवानिया, एटा की जिला विशेषज्ञ कम्युनिटी आउटरीच श्वेता पांडेय और संगीनियो के साथ ही ब्लॉक कम्युनिटी प्रोसेस मैनेजर उपस्थित रहे।
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