संघर्ष – डॉ कंचन जैन “स्वर्णा”

अलीगढ़ :–




पूरी रात गुजर जाती है , 

नींद के इन्तजार में । 

चीखतीं हैं ,खामोशियां

हालात ए ख्यालों में । 

तलाशता है , सुकून नींद को।

 कुछ उलझने निहारती हैं , लफ्ज़ों को । 

और हार जाती हैं , रातों से ।

 रोज सुबह निहारता हूं , जीत को

और चल देता हूं , फिर रात के इंतजार में ।

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