स्वभाव के रंग – डॉ कंचन जैन "स्वर्णा"

अलीगढ़ ,:–


जिसका जैसा स्वभाव था।

उसके किरदार में वैसा ही अभाव था।

मतलबपरस्ती की चादर में ,

जिसकी हमेशा मोल भाव था।

हर मौसम बदलता है,

परेशान क्यों है?

अपने  कर्मों के रंगों से,

ये आईना बना है।

तेरे स्वभाव के रंगों से।

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