Homeअलीगढ कलम की भावनाएं – डॉ कंचन जैन "स्वर्णा" byRashtriy Samachar -March 30, 2024 0 अलीगढ़ :–न जाने, कौन सी भावनाएं जहन में थी।न जाने,कौन सी, हसरतें वहम में थीं।कलम स्याही बिखेर रही थी,हर पन्ने पर,कभी भूत, कभी भविष्य, कभी वर्तमान।कभी कुछ सजा रही थी, कभी कुछ मिटा रही थी।
Post a Comment