प्रफुल्लित मन – डॉ कंचन जैन "स्वर्णा"

अलीगढ़:–


भावनाओं की कश्ती में,

 हसरतें मुस्कुरा रही थीं।

कभी मन विभोर, कभी भावविभोर ।

चलचित्र सी जिंदगी,

कुछ उम्र के रंग,

आकांक्षाओं की उमंग।

महत्वाकांक्षाओं की तरंग।

कुछ भूत भविष्य वर्तमान से विरक्त।

कुछ प्रकृति से अनुरक्त।

प्रफुल्लित मन,

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