साज़िशे कहां से आ गई – डॉ कंचन जैन "स्वर्णा"

अलीगढ़ :–


हिदा़यतें

खै़रियतें

ह़सरतें

क़रामातें

फुऱर्सतें

ख्वाईशें

शिद्द़ते

सब सही थीं।

गुंजाइशें

आज़माइशें

गुज़ारिशें

नुमा़इशे 

न जाने कहां से आ गई।

ऊपर वाले ने कहा

बाकी सब ठीक था।

ना जाने तेरे मेरे बीच में,

ये "साज़िशे"

कहां  से आ गई।

0/Post a Comment/Comments

Previous Post Next Post