एक एक पल बीतती जिंदगी – डॉ कंचन जैन स्वर्णा

अलीगढ़ :–


एक एक पल जिन्दगी बीत रही है,

जाने कौन सी,

 आकांक्षाएं जीत रही हैं।

खो रहा है,

इंसान से इंसान का एतबार,

जाने कौन से  एतबार मे,

 इंसानियत जी रही है।

कहता है, 

खुद को हुनरमंद।

जाने कौन सी,

 शीशी में नीयतें बंद हो रही हैं।

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