मित्रता अब एक शब्द हो गई – डॉ कंचन जैन स्वर्णा

अलीगढ़ :–


मित्रता कहते थे, जिसे,

अब वह शब्द हो गई है।

नोटों की आंधियां,

क्या चली,

मित्रता पर धूल,

 हो गई है।

एक मित्र बिना मतलब के आवाज,

 देता नहीं,

मित्रता अब एक शब्द हो गई है।

हाल-चाल पूछता नहीं कोई, 

एक दूसरे का।

मित्रता अब  नाम की हो गई है।

0/Post a Comment/Comments

Previous Post Next Post