क्या इस बार एटा में खत्म हो पाएगा समाजवादी पार्टी का वनवास ?

एटा:–


- 2009 में वर्तमान सांसद का टिकट काटकर मुलायम सिंह यादव ने कल्याण सिंह को दिया था समर्थन

- कुंवर देवेंद्र सिंह यादव ने महादीपक शाक्य को हराकर लिखी थी सपा की जीत की इबारत


अमन पठान | एटा। 

सवाल ये नहीं टूटा कि बच गया शीशा

सवाल ये है कि पत्थर किधर से आया है

इन पंक्तियों का अर्थ सिर्फ इतना है कि एटा में जिस पार्टी की जीत का लगातार डंका बज रहा था उसी पार्टी के मुखिया ने खुद अपनी पार्टी को वनवास के लिए रवाना कर दिया। क्या इस लोकसभा चुनाव में एटा सीट पर समाजवादी पार्टी का वनवास खत्म हो पाएगा? आइए जानते हैं समाजवादी पार्टी से जुड़े कुछ रोचक तथ्य और सपा नेताओं के भाजपा में शामिल होने के रहस्य?

एटा लोकसभा सीट पर 25 वर्ष बाद ऐसा शाक्य प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं जो जीत की नई इबारत लिख सकता है। वर्ष 1999 में कांग्रेस के दिग्गज सांसद महादीपक शाक्य को पराजित कर समाजवादी पार्टी ने एटा लोकसभा सीट पर कुंवर देवेंद्र सिंह यादव के रूप में विजयश्री प्राप्त की और वर्ष 2004 में भी सपा ने अपनी जीत का परचम लहराया और कुंवर देवेंद्र सिंह यादव एटा में सपा के दिग्गज नेताओं में शुमार होने लगे। एटा लोकसभा सीट पर समाजवादी पार्टी को शिकस्त देना विपक्षी दलों मुश्किल ही नहीं नामुमकिन था लेकिन मुलायम सिंह यादव की एक गलती ने एटा में सपा का सफाया कर दिया।

वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में मुलायम सिंह यादव ने सपा का प्रत्याशी चुनाव मैदान में न उतारने का ऐलान कर दिया और पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह को समर्थन देने की घोषणा कर दी। मौजूदा सांसद कुंवर देवेंद्र सिंह यादव को सपा के टिकट पर हराना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन था वह बागी हो गए और बसपा के टिकट पर सपा समर्पित प्रत्याशी कल्याण सिंह को चुनौती देने के लिए मैदान में आ गए लेकिन उस समय सपा की लोकप्रियता चरम सीमा पर थी। एटा लोकसभा सीट पर एक जाति के भरोसे चुनाव जीतना नामुमकिन है। सपा समर्पित निर्दलीय प्रत्याशी कल्याण सिंह को लोधी राजपूत, शाक्य, ठाकुर, ब्राह्मण, वैश्य, यादव, मुस्लिम के अलावा अन्य जातियों का वोट मिला। कुंवर देवेंद्र सिंह यादव जाटव के अलावा कुछ मुस्लिम और यादव वोट ही हासिल कर पाए। लिहाजा उन्हें कल्याण सिंह से पराजित होना पड़ा।

वर्ष 2014 में नरेंद्र मोदी की ऐसी आंधी आई कि जो नेता अपने गांव से ग्राम पंचायत का चुनाव नहीं जीत सकता था वो नरेंद्र मोदी के नाम पर सांसद बन गया। ऐसा ही एटा लोकसभा सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के पुत्र राजवीर सिंह उर्फ राजू भैया के साथ हुआ। राजवीर सिंह एटा लोकसभा सीट पर नरेंद्र मोदी के नाम पर सांसद चुने गए। 2019 में भी नरेंद्र मोदी की बदौलत राजवीर सिंह को विजयश्री प्राप्त हुई। राजवीर सिंह ने जनहित में कितने कार्य किए हैं उन्हें उल्लेख करना उचित नहीं है क्योंकि जनता को मालूम है कि भाजपा सांसद ने उन्हें 10 वर्षों ने कितनी जन कल्याणकारी योजनाओं से लाभान्वित किया है। वह जनता के सुख दुःख में कितने शामिल हुए हैं।

अब सवाल यह है कि समाजवादी पार्टी ने जो सियासी चाल चली है क्या उससे सपा का वनवास खत्म हो जाएगा? 25 वर्ष बाद एटा लोकसभा सीट पर शाक्य प्रत्याशी दमदारी से सपा के टिकट पर अपनी किस्मत आजमा रहा है लेकिन एटा के तमाम दिग्गज नेता भाजपा में शामिल हो चुके हैं। सपा के पास ठोस वोट में सिर्फ मुसलमान ही बचे हैं क्योंकि मुसलमानों ने ही भाजपा को हराने का ठेका लिया हुआ है। एटा लोकसभा सीट पर मुकाबला बेहद ही दिलचस्प है क्योंकि एक तरफ भाजपा के साथ सपा के पूर्व दिग्गज नेता कुंवर देवेंद्र सिंह यादव, रमेश यादव, आशीष यादव, अजय यादव, सुनील यादव, बजीर सिंह यादव जैसे तमाम प्रभावशाली नेता मौजूद हैं तो वहीं दूसरी ओर सपा के पास उंगलियों पर गिन लेने वाले प्रभावशाली नेता बचे हैं जो सपा को जिताने की हुंकार भर रहे हैं।

अगर समाजवादी पार्टी शाक्य और यादव वोट में बड़े पैमाने पर सेंधमारी करती है तो चुनाव परिणाम चौंकाने वाले हो सकते हैं। मौजूदा भाजपा सांसद की जीत उनके भाग्य पर निर्भर करती है क्योंकि जनता बेरोजगारी और मंहगाई से त्रस्त है। मतदाता इस लोकसभा चुनाव में धर्म और जाति से ऊपर उठकर मतदान करने का मन बना चुके हैं। वैसे एटा जनपद में शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, बिजली, पानी और रोजगार जैसी मूलभूत सुविधाओं का अकाल है। जनप्रतिनिधि झूठे वायदों से जनता का दिल बहला देते हैं और जनता धर्म जाति की भावनाओ में बहकर ऐसे हाकिम को चुन लेती है जो उन्हें चुनाव जीतने के बाद दिखाई नहीं देता है।

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