किरदार,कलम और रंग – डॉ कंचन जैन "स्वर्णा"

अलीगढ़ :–


कुछ बरसों पुरानी कहानी,

फिर से पन्ने पलट रही है।

हसरतें,

फिर लफ्जों की कहानी,

दोबारा लिख रही हैं।

स्याही मांगकर लिखने की आदत,

फिर कलम पकड़ रही हैं।

लौट रहे हैं,

 कुछ कदम, 

मुड़कर फिर देख रहे हैं।

इंतजार के रंगों में,

फिर कुछ, नए रंग 

किरदारों में रंग भर रहे हैं।

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