राजनीति – डॉ कंचन जैन

अलीगढ़ –




शब्दों की चादर में,

करवट बदलती भावनाएं।

भेदभाव को निहारती निगाहें,

अधिकारों को दबाती, खामोशियां।

चित्कारती हुई,अनंरात्माएं,

नीर से भीगे अस्तित्व।

खो गई है, वास्तविकताएं,

एक सर्वश्रेष्ठ सृजन की।

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