आगरा:-
सरोजिनी नायडू मेडिकल कॉलेज के डॉ. प्रशांत गुप्ता गुप्ता सितम्बर के पहले सप्ताह में कोविड-19 की चपेट में आ गये। वह अपनी टीम के साथ एवं प्रधानाचार्य जी डॉ संजय काला के निर्देशन में कोविड अस्पताल , एस एन मेडिकल कॉलेज की संपूर्ण व्यवस्था देख रहे थे। इस दौरान उन्हें पता ही नहीं चला कि वह कब पॉजिटिव हो गये जब उन्हें कुछ लक्षण महसूस हुए तो उन्होंने जांच कराई। जांच पॉजिटिव आने पर उन्होंने अपने परिवार के अन्य सदस्यों की भी जांच कराई, उनमें भी कोविड-19 का संक्रमण मिला। इसके बाद वह होम आइसोलेट हो गये।
डॉ. प्रशांत ने बताया कि जब उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई तो सबसे पहले उन्हें अपने काम की चिंता हुई, क्योंकि वह इस महामारी के दौरान एक महत्वपूर्ण भूमिका में थे और कोविड-19 को मरीजों का इलाज कर रही समस्त चिकित्सकों की टीम के साथ कार्य कर रहे थे । इसके बाद उनकी टीम के सदस्यों डॉ. आशीष गौतम, डॉ. अखिल प्रताप सिंह और डॉ. ब्रजेश शर्मा ने हौसला बढ़ाया और कहा कि वे कोविड हॉस्पिटल की व्यवस्थाओं को प्रभावित नहीं होने देंगे । इस दौरान प्रधानाचार्य जी द्वारा स्वयं कोविड हॉस्पिटल की व्यवस्थाओं को सुचारु रखने हेतु कोविड हॉस्पिटल में प्रतिदिन लगभग तीन घंटे का समय दिया गया। उन्होंने बताया कि होम आइसोलेशन में रहने के दौरान भी अपने साथियों से फोन के माध्यम से कनेक्ट रहे और कार्य प्रभावित नहीं हुआ ।
परिवार के सभी सदस्य पॉजिटिव-
डॉ. प्रशांत ने बताया कि एक चिकित्सक होने के साथ ही कोरोना मरीजों के इलाज में जुटे होने के बाद भी जब मुझे और मेरे परिवार के सदस्यों को इसका संक्रमण हुआ तो मेरे मन में भी क्षणिक रूप से भी भय का भाव नहीं
आया।उन्होने कहा कि जब परिवार में आपकी बुजुर्ग मां, पत्नी और आपकी बेटी सहित आप भी कोविड धनात्मक हों तो शायद मन में चिंता अपने आप ही आ जाती है। उन्होंने कहा कि हमने फिर भी हार नहीं मानी और मानसिक तनाव को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया।
आया।उन्होने कहा कि जब परिवार में आपकी बुजुर्ग मां, पत्नी और आपकी बेटी सहित आप भी कोविड धनात्मक हों तो शायद मन में चिंता अपने आप ही आ जाती है। उन्होंने कहा कि हमने फिर भी हार नहीं मानी और मानसिक तनाव को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया।
समाज का मिला समर्थन
डॉ. प्रशांत ने बताया कि जब लोगों को पता चला कि हमारा परिवार कोविड पाजिटिव हो गया है, तो इस पर लोगों ने फोन कर काफी सहारा व संबल दिया। उन्होंने फोन के माध्यम से ही लगातार मेरी तबियत का हाल जाना। उन्होंने बताया कि चाहे ऑफिस के लोग हों या रिश्तेदार हों सभी ने काफी सहारा दिया।
स्वास्थ्य विभाग की रही अहम भूमिका
डॉ. प्रशांत ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग की टीम की ओर से लगातार अपनी ड्यूटी पूरी की गई। मेरे चिकित्सक होने के बावजूद वह मुझसे फोनकर हर रोज मेरी तबियत का हाल जानते थे और जरूरी निर्देश भी देते थे। सैंपल घर से ही समय से स्वास्थ्य विभाग की टीम द्वारा ही कराया गया। उन्होंने बताया कि इलाज मेरे साथी डॉक्टर प्रभात अग्रवाल और डॉ. आशीष गौतम ने किया। उन्होंने बताया कि जब हमारी रिपोर्ट निगेटिव आई तो हम सभी को खुशी का अहसास हुआ एवं मन में सुकून आया कि प्रभु की कृपा से एवं शुभचिंतकों की शुभेच्छाओं से इस बीमारी से सारा परिवार सकुशल बाहर आ गया।
पूरे 21 दिन के होम आइसोलेशन के बाद डॉ. प्रशांत ने दोबारा से ड्यू़टी संभाल ली है और दोबारा से अपना चिकित्सक धर्म निभा रहे हैं।
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